चारित्रवान मुनियों को पंडित मरण होता है। वह तीन प्रकार का है- भक्तप्रत्यख्यान, इंगिनीमरण, प्रायोगमन। निरहंकार, निःकषाय, जितेन्द्रिय, धीर, निदान – रहित, सम्यग्दर्शन सम्पन्न जीव मरते समय आराधक होता है अर्थात् पंडित मरण से मरता है।
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