न्यासापहार धरोहर में चाँदी आदि को रखने वाला कोई उसकी संख्या भूलकर यदि उसे कमती देने लगा हो तो ठीक है, इस प्रकार स्वीकार करना न्यासापहार है । ( इसमें मायाचारी का दोष भी
सर्वार्थसिद्धि/7/26/366/10हिरण्यादेर्द्रव्यस्य निक्षेप्तुर्विस्मृतसंख्यस्याल्पसंख्येयमाददानस्यैवमित्यनुज्ञावचनं न्यासापहार:।=धरोहर में चाँदी आदि को रखने वाला कोई उसकी संख्या भूलकर यदि उसे कमती देने लगा तो ‘ठीक है’ इस प्रकार स्वीकार करना न्यासापहार है। ( राजवार्तिक/7/26/4/553/33 ) (इसमें मायाचारी का दोष भी है) देखें माया – 2। पूर्व पृष्ठ अगला …
न्योन दशमि दश दशमि कराय, नये नये दश पात्र जिमाय। (यह व्रत श्वेतांबर व स्थानकवासी आम्नाय में प्रचलित है।) (व्रत विधान संग्रह/पृ.131)। पूर्व पृष्ठ अगला पृष्ठ