संवेग विधिरूप होता है निषेध को विषय करने के कारण निर्वेद निषेधात्मक होता है उन निर्वेद व संवेग में विवक्षा वश भेद है। वास्तव में कोई भेद नहीं है। स अभिलाषाओं का त्याग करना निर्वेद कहलाता है और धर्म तथा …
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