जो अनादि संसार से लेकर संकोच विस्तार से लक्षित है और जो चरम शरीरी के परिमाण से कुछ न्यून परिणाम में अवस्थित होता है। ऐसा लोकाकाश प्रमाण आत्म अवयवत्व जिसका लक्षण है। ऐसी (जीव द्रव्य की) नियत प्रदेशत्व शक्ति है।
नियत अर्थात् संकर व्यतिकर दोषों से रहित वृत्ति अर्थात् आत्म लाभ संकर व्यतिकर रहित अपने अपने स्वरूप में अवस्थित रहना वस्तु की नियतवृत्ति है। (जैसे अग्नि नियत उष्णस्वभावी है )
नियमसार – कुन्दकुंदाचार्य nikkyjain@gmail.com Index अधिकार जीव-अधिकार अजीव-अधिकार शुद्ध-भाव-अधिकार व्यवहार-चारित्र परमार्थ प्रतिक्रमण निश्चय प्रत्याख्यान परम आलोचना शुद्धनिश्चय-प्रायश्चित्त परम-समाधि परम-भक्ति निश्चय परमावश्यक शुद्धोपयोग अधिकार Index गाथा / सूत्र विषय गाथा / सूत्र विषय 001-a) टीकाकार द्वारा मंगलाचरण जीव-अधिकार 001) मंगलाचरण 002) …