‘मुझे भविष्य में इस वस्तु की प्राप्ति हो ऐसा संकल्प करना निदान कहलाता है। यह तीन प्रकार का है- प्रशस्त, अप्रशस्त और भोगकृत। संयम की साधना के लिए परलोक में उत्तम शरीर, दृढ़ परिणाम और योग्य सामग्री प्राप्त हो ऐसी …
विशेष प्रीतिवश या तीव्र कामादि वासना से प्रेरित होकर त्याग तपस्या के फलस्वरूप परलोक में इन्द्रिय-सुख मिले, ऐसी आकांक्षा निरन्तर करना निदान नाम का आर्तध्यान है। इसमें परलोक संबंधी इन्द्रिय-सुखों की प्राप्ति के लिए सतत् चिन्ता बनी रहती है। यह …
देखे सुने और अनुभव में आए हुए भोगों में निरंतर चित्त को लगाए रखना निदान – शल्य है।