जो जीवों को शीत, उष्ण आदि वेदनाओं से निरंतर आकुलित करते रहते हैं वह नरक कहलाते हैं। अथवा पापी जीवों को अत्यंत दुख प्राप्त कराने वाले नरक हैं। अथवा जिस स्थान में जीव रमते नहीं हैं अर्थात् परस्पर प्रेम-भाव को …
जिसके द्वारा नर आदि भवों को जाता है वह आयु कर्म है। प्रकृति का अर्थ स्वभाव है। भव धारण आयु कर्म की प्रकृति है इस प्रकार का लक्षण किया जाता है। जिस आयुकर्म का उदय है ‘सो कर्म करि किया …