शरीर, वस्त्र, आभूषण आदि की कान्ति को धुति कहते हैं ।
जिस क्रिया में खेलने के पासे डालकर धन की हार-जीत होती है, वह सब जुआ या द्यूतक्रीड़ा कहलाती है। अर्थात् हार-जीत की शर्त लगाकर ताश खेलना, चौपड़ खेलना, शतरंज खेलना आदि सब जुआ कहलाता है। अपने-अपने व्यापार के कार्यों के …
सब जीवों की उत्पत्ति के मूल कारण कार्मण शरीर को द्रव्यकर्म कहते हैं। जीव के जो द्रव्यकर्म हैं वो पुद्गल के हैं। उनके अनेक भेद हैं। उनमें से आठ प्रकार के कर्मस्कन्धों के भेद द्रव्यकर्मवर्गणा है। द्रव्यकर्म दो प्रकार का …