1. अंग, बंग, कलिंग, मगध आदि देश कहलाते हैं। 2. स्वद्रव्य क्षेत्र काल और भाव इन सबके समुदाय का नाम देश है। 3. देश शब्द का अर्थ अवयव भी होता है देश का अर्थ हैं लेशमात्र या किंचित् ।
चारित्र दो प्रकार का है- सकलचारित्र विकलचारित्र। समस्त प्रकार के परिग्रह से रहित सकल चारित्र और गृहस्थों के विकल चारित्र अथवा देशचारित्र होता है।
जो ज्ञान द्रव्य क्षेत्र काल भाव में परिमित तथा बहुत प्रकार के भेद प्रभेदों से युक्त है वह देश प्रत्यक्ष है। अवधिज्ञान मनःपर्यय ज्ञान देश प्रत्यक्ष ज्ञान हैं, क्योंकि इनमें सकल प्रत्यक्ष का लक्षण नहीं पाया जाता। यह ज्ञान विनश्वर …
विवक्षित एकदेश रूप से जो आत्मा के गुणों का आच्छादन करने वाली कर्म शक्तियाँ हैं, वे देशघाति स्पर्धक कहलाती हैं।