वीतराग, सर्वज्ञ और आगम के ईश (स्वामी) को आप्त या देव कहते हैं। देव शब्द के अनेक अर्थ किए गए हैं जो परमसुख में क्रीड़ा करता है वह देव है या जो कर्मों को जीतने की इच्छा करता है वह …
जो दिव्य – भाव युक्त अणिमा आदि आठ गुणों से नित्य क्रीड़ा करते रहते हैं और जिनका प्रकाशमान दिव्य शरीर है वे देव कहे गए हैं अथवा देव गति नामकर्म के उदय से अनेक प्रकार की बाह्य विभूति से द्वीप …
यह विदेह क्षेत्र की शाश्वत उत्तम भोगभूमि है। इसके दक्षिण में निषध पर्वत, उत्तर में सुमेरू पर्वत, पूर्व में सौमनस गजदन्त पर्वत और पश्चिम में विद्युतप्रभ गजदन्त पर्वत है। यहाँ के मनुष्यों की आयु तीन पल्य होती है। यहाँ सदा …