अपूर्व स्पर्धककरण काल का प्रथमादि समयनि विषै दृश्य कहिये, देखने में आवे ऐसा परमाणुनिका ताका अनुक्रम सों दृश्यक्रम कहिये । ( तहाँ पूर्व में जो नवीन देयद्रव्य मिलकर कुल द्रव्य होता है वह द्रव्य, द्रव्य जानना ) प्रथम वर्गणा से …
किसी भी स्पर्धक या कृष्टि आदि पूर्व का द्रव्य या निषेक या वर्गणाएँ तथा नया मिलाया गया द्रव्य, दोनों मिलकर दृश्यमान द्रव्य होता है। अर्थात् वर्तमान समय में जितना द्रव्य दिखाई दे रहा है, वह दृश्यमान द्रव्य है।