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23 July

दुःश्रुति 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

जिन शास्त्रों या पुस्तकों में हंसी-मजाक, कामभोग आदि मन को कलुषित करने वाली बातों का वर्णन किया गया हो उनको पढ़ना या सुनना अथवा दूसरे के दोषों की चर्चा करना या सुनना दुःश्रुति नाम का अनर्थदण्ड का एक भेद है।

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23 July

दुषमा 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

अवसर्पिणी के पंचमकाल और उत्सर्पिणी के द्वितीयकाल का नाम दुःषमा है। अवसर्पिणी के इस पंचमकाल में मनुष्यों की अधिकतम आयु एक सौ बीस वर्ष और ऊँचाई सात हाथ होती है। द्वादशांग रूप श्रुतज्ञान का विच्छेद हो जाता है। तीर्थंकर आदि …

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23 July

दुषमा दुषमा

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

अवसर्पिणी के छठवें और उत्सर्पिणी के प्रथम काल का नाम दुःषमा- दुःषमा है। अवसर्पिणी के इस छठे काल में मनुष्यों की अधिकतम आयु बीस वर्ष और ऊँचाई साढ़े तीन हाथ रहती है। मनुष्यों का नैतिक पतन होने से वे पशुवत् …

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23 July

दुषमा सुषमा 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

अवसर्पिणी के चतुर्थकाल और उत्सर्पिणी के तृतीय काल का नाम दुःषमा- सुषमा है। अवसर्पिणी के इस चतुर्थकाल में मनुष्य असि, मसि, कृषि, विद्या, वाणिज्य और शिल्प इन षट् कर्मों के द्वारा अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। मनुष्यों की अधिकतम …

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23 July

दुष्प्रणिधान 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

काययोग दुष्प्रणिधान, वचनयोगदुष्प्रणिधान, मनोयोग दुष्प्रणिधान इस प्रकार तीन प्रकार का दुष्प्रणिधान है। सामायिक करते समय शरीर में स्थिरता न होना अशुभ वचन बोलना और मन में खोटे विचार लाना यह मन-वचन-काय का दुष्प्रणिधान है।

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