पीड़ा रूप आत्मा का परिणाम ही दुःख है । दुःख चार प्रकार का है— भूख, प्यास आदि से उत्पन्न स्वाभाविक दुःख, सर्दी, गर्मी आदि से उत्पन्न नैमित्तिक दुःख, रोगादि से उत्पन्न शारीरिक दुःख तथा वियोग आदि से उत्पन्न मानसिक दुःख …
जिस कर्म के उदय से जीव रूपादि गुणों से युक्त होकर भी अप्रीतिकर लगता है उसे दुर्भग- नामकर्म कहते हैं ।