500 मानव योजन का एक महायोजन, प्रमाणयोजन या दिव्य योजन 80 लाख गज या 454545 मील का होता है।
केवलज्ञान होने के पश्चात् अर्हंत भगवान् के सर्वांग से एक विचित्र गर्जना रूप ॐकारध्वनि खिरती है जिसे दिव्यध्वनि कहते हैं। भगवान् की इच्छा न होते हुए भी भव्य जीवों के पुण्य से सहज खिरती है पर गणधर देव की अनुपस्थिति …