उत्तम चारित्र वाले मुनियों के ये नाम हैंश्रमण, संयत, ऋषि, मुनि, साधु, वीतराग, अनगार, भदंत, दाँत, और यति । पंचेन्द्रिय के रोकने में लीन वह दाँत कहा जाता है ।
जिस कर्म के उदय से जीव दान देने की इच्छा करता हुआ भी दान नहीं दे पाता वह दानान्तराय कर्म है।
जिस कर्म के उदय से जीव दान देने की इच्छा करता हुआ भी दान नहीं दे पाता वह दानान्तराय कर्म है।
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