दर्शन शब्द का अर्थ है जिसके द्वारा देखा जाए अर्थात् जीवन व जीवन – विकास का ज्ञान प्राप्त किया जाए। मूल भेद की अपेक्षा जगत् प्रसिद्ध छह ही दर्शन हैं परन्तु भेद-प्रभेद की अपेक्षा अनेक हैं बौद्ध, नैयायिक, सांख्य, जैन …
सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक् चारित्र और सम्यक्तप इन चारों का यथायोग्य रीति से उद्योतन करना, उनमें परिणति करना उनको दुष्टतापूर्वक धारण करना, उनके मंद पड़ जाने पर पुनः–पुनः जाग्रत करना उनका आमरण पालन करना सो आराधना कहलाती है सम्यग्दर्शन की …
विषय और विषय का संधिपात होने पर दर्शन होता है। विषय विषयी के योग्य देश में होने की पूर्व अवस्था को दर्शन कहते हैं । बाह्य अर्थ ग्रहण के उन्मुख होने रूप जो अवस्था होती है, वही दर्शन हो, ऐसी …