भाषात्मक शब्द और अभाषात्मक शब्द इस प्रकार शब्दों के दो भेद हैं । अभाषात्मक शब्द दो प्रकार का है- प्रायोगिक और वैसेसिक । घन और सौषिर भेद से प्रायोगिक शब्द चार प्रकार के हैं। चमड़े से मढ़े हुए पुष्कर, भेरी …
तत्त्वस्वरूप होना जिसका स्वरूप है, ऐसी उन्तीसवीं तत्त्वशक्ति है, जो वस्तु का स्वभाव है, उसे तत्त्व कहते हैं। वही तत्त्वशक्ति है।
तत्त्वज्ञान-तरंगिणी – भट्टारक-ज्ञानभूषण nikkyjain@gmail.com Date : 17-Nov-2022 Index अधिकार शुद्ध-चिद्रूप का लक्षण ध्यान में उत्साह शुद्ध-चिद्रूप की प्राप्ति प्राप्ति की सरलता पूर्व में प्राप्ति न होना स्मरण करने की निश्चलता नयों का आश्रय भेद-ज्ञान की आवश्यकता मोह-त्याग अहंकार-ममकार का त्याग …
वारूणी धारणा के पश्चात् वह योगी सप्त धातु से रहित पूर्ण चंद्र के समान निर्मल अपने आत्मा का ध्यान करता है, यह अंतिम तत्त्वती – धारणा है।