सूखे तिनके काँटे, कंकर, पत्थर आदि चुभन से उत्पन्न होने वाली पीड़ा को समता पूर्वक सहन करना तृण स्पर्श परीषह जय है जो साधु सूखे तिनके, कठोर, कंकर आदि के चुभने या विंधने से वेदना के होने पर उसे समतापूर्वक …
उपवास विधि में अष्टमी और चतुद्रशी का उपवास और सप्तमी या तेरस को एक बेला का त्याग और नौवीं या पूर्णिमा को दोनों बेलाओं में आहार करने से तीन बेलाओं का त्याग हो जाता है,इसे ही तृतीय भक्त कहते हैं …