जिसका आश्रय लेकर भव्य जीव संसार से पार होते हैं उसको तीर्थ कहते हैं। भव्य जीव श्रुत से या गणधर की सहायता से संसार से पार होते हैं इसलिए श्रुत और गणधर को भी तीर्थ कहा गया है अथवा जिनमार्ग …
जिस कर्म के उदय से तीन लोक में पूज्यता प्राप्त होती है उसे तीर्थंकर नामकर्म कहते हैं अथवा जिस कर्म के उदय से जीव पाँच महाकल्याणकों को प्राप्त करके तीर्थ अर्थात् आगम की रचना करता है वह तीर्थंकर नामकर्म है …