1. कर्म का क्षय करने के लिए जो तपा जाता है वह तप है अथवा रत्नत्रय को प्रगट करने के लिए इच्छाओं का निरोध करना तप कहलाता है। 2. जो समभावी मुनि इस लोक और परलोक के भौतिक सुखों की …
तप नाम यद्यपि कुछ भयावह प्रतीत होता है, परंतु वास्तव में ऐसा नहीं है, यदि अंतरंग वीतरागता व साम्यता की रक्षा व वृद्धि के लिए किया जाये तो तप एक महान् धर्म सिद्ध होता है, क्योंकि वह दु:खदायक न होकर …
जिसके प्रभाव से मुनि तपों की उत्कृष्ट अवस्था को प्राप्त कर लेते हैं वह तप ऋद्धि है तप ऋद्धि के सात प्रकार हैं- उग्र तप, घोर तप, घोर पराक्रम, घोर ब्रह्मचर्य, तप्त – तप, दीप्त तप और महा तप ।
सिंहनिष्क्रीड़ित विमानपंक्ति और सर्वतोभद्र आदि महातपों का विधि का विधाता हूँ। मेरा सारा जन्म तप करते-करते गया है। ये सर्व मुनि तो नित्य भोजन मे रत रहते हैं । यह तप मद हैं |