नूतन शरीर पर्याय को धारण करने के लिए पूर्व पर्याय का नष्ट होना तद्भवमरण है।
जिस पर्याय में केवलज्ञान प्राप्त हुआ, उसी पर्याय में स्थित केवली को तद्भवस्थकेवली कहते हैं।
द्रव्य निक्षेप कर्म तद्वयतिरिक्त नोआगम द्रव्य निक्षेपपना- ज्ञानावरणादि आठ प्रकार के कर्म द्रव्य को, कर्म तद्वयतिरिक्त नो आगम द्रव्य निक्षेप कहते हैं। कर्म द्रव्य को क्षेत्र संज्ञा कैसे प्राप्त हुई ? उत्तरनहीं क्योंकि जिसमें जीव क्षीयंति अर्थात् निवास करते हैं, …