सदा प्रकाशमान अर्थात् ज्योतिर्मय होने से चन्द्र सूर्य आदि ज्योतिष देव कहलाते हैं। ज्योतिष देव पाँच प्रकार के होते हैं सूर्य, चन्द्र, ग्रह, नक्षत्र और प्रकीर्णक (तारे) । इनमें चन्द्रमा को इन्द्र तथा सूर्य को प्रतीन्द्र माना गया है। प्रत्येक …
एक राजू लम्बे और चौड़े सम्पूर्ण मध्यलोक की चित्रा पृथिवी से 790 योजन ऊपर जाकर ज्योतिष लोक प्रारम्भ होता है जो उससे ऊपर 110 योजन तक आकाश में स्थित है। इस प्रकार चित्रा पृथिवी से 790 योजन ऊपर एक राजू …
ज्योतिष देवों (चन्द्र सूर्य आदि) की गति विधि पर भूत भविष्यत् को जानने वाला एक महनिमित्त ज्ञान (astronomy)।