जिस कर्म के उदय से जीव का ज्ञान आवरित हो जाता है अर्थात् ढक जाता है उसे ज्ञानावरणीय कर्म कहते हैं बहिरंग पदार्थ को विषय करने वाले उपयोग का प्रतिबन्धक ज्ञानावरणीय कर्म है ऐसा जानना चाहिए। ज्ञानावरणीय कर्म के पाँच …
ज्ञाता का जो त्रिकाल गोचर शरीर है वह ज्ञायक शरीर नौ आगम द्रव्य जीव है ज्ञायक शरीर तीन प्रकार का है भूत, वर्तमान व भावी । वर्तमान प्राभृत का ज्ञाता लेकिन अनुपयुक्त उपयोग वाले आत्मा का वर्तमान शरीर, उस ही …