जीवत्व का अर्थ चैतन्य है यह जीव का स्वभाव है जीवत्व को जो पारिमाणिक कहा है वह प्राणों को धारण करने की अपेक्षा न कहकर चैतन्य गुण की अपेक्षा से कहा गया है तथा मोक्ष में भव्यत्व भाव का अभाव …
जो जन्म-मरण से मुक्त हो गए हैं परन्तु अभी समस्त कर्मों से मुक्त नहीं हुए, ऐसे अर्हन्त भगवान जीवन्मुक्त कहलाते हैं। भाव मोक्ष, केवलज्ञान की उत्पत्ति, जीवन्मुक्त और अर्हन्त पद ये सब एकार्थवाची है।