क्रोध, मान, माया और लोभ इन कषायों को जीत लेने के कारण अर्हन्त भगवान जिन है या जो राग द्वेष मोह को जीत लेता है वह जिन है अथवा जो कर्म रूपी शत्रुओं को जीतता है वह जिन है सकल …
जिन्होंने राग, द्वेष और मोह को जीत लिया है जो उपसर्ग व परीषह को समतापूर्वक सहन करते हैं और जो जिनेन्द्र भगवान के समान विहार आदि चर्या करते हैं ऐसे उत्तम संहनन और सामायिक चारित्र के धारी महामुनि जिनकल्पी कहलाते …