गुण दोष से वादी की जय और पराजय होती है, यदि साध्य की सिद्धि न हो तो साधन आदि व्य है, प्रतिवादी हेतु में विरुद्धता का उद्भावना करके वादी को जीत लेता है किन्तु अन्य हेत्वाभासों उद्भावन करके पक्षसिद्धि की …
जैनों में परस्पर विनय और प्रेमभाव प्रकट करने के लिए जय जिनेन्द्र शब्द बोला जाता है।