सब देवता और सब मतों को एक समान मानना वैनयिक मिथ्यादर्शन है। सभी तीर्थंकरों के तीर्थ में वैनयिकों का उद्भव होता है उसमें कोई जटाधारी, कोई मुण्डे, कोई शिखाधारी और कोई नग्न रहते हैं कोई दुष्ट हो, चाहे गुणवान् दोनों …
Not a member yet? Register now
Are you a member? Login now