प्रकाश के आवरण रूप शरीरादि की जो परछाई पड़ती है उसका नाम छाया है। छाया दो प्रकार की है- दप्रण में बने प्रतिबिंब रूप और रंगों से निर्मित आकृति या चित्र रूप ।
किसी के द्वारा छेदे गये वस्त्र, शस्त्र आदि को देखकर तथा खण्डित भवन, नगर एवं देश आदि को देखकर शुभ-अशुभ एवं सुख-दुःखादि को जान लेना छिन्न- निमित्तज्ञान कहलाता है ।
दिवस, पक्ष, महीना आदि की प्रवज्या का छेद करना छेद प्रायश्चित्त है। एक दिन, एक पक्ष, एक मास, एक ऋतु एक अयन और एक वर्ष आदि तक दीक्षा पर्याय का छेद कर दीक्षित पर्याय से नीचे की भूमिका में स्थापित …