द्रव्य जीव और अजीव के भेद से 2 प्रकार है। उसमें चेतनामय अथवा उपयोगमय जीव हैं । पुद्गल जीवद्रव्यादिक अचेतनद्रव्य हैं। आकाश काल पुद्गल धर्म व अधर्म में जीव के गुण नहीं हैं। उन्हें अचेतनपना कहा है। जीव को चेतनता …
स्वसंवेदन गम्य अंतरंग प्रकाश स्वरूप भाव विशेष को चेतना कहते हैं। वह दो प्रकार की है–शुद्ध व अशुद्ध। ज्ञानी व वीतरीगी जीवों का केवल जानने रूप भाव शुद्ध चेतना है। इसे ही ज्ञान चेतना भी कहते हैं। इसमें ज्ञान की केवल ज्ञप्ति …
जिस शक्ति के सान्निध्य से आत्मा ज्ञातादृष्टा, कर्ता या भोक्ता होता है वह चेतना है और वही जीव का स्वभाव होने से उसका लक्षण है अथवा अनुभव रूप भाव का नाम चेतना है चेतना, अनुभूति, उपलब्धि और वेदना इन सबका …
राजा चेटक की पुत्री थी राजा श्रेणिक से विवाही गयी तथा उसकी पटरानी बनी । वैशाख नामा मुनि राजगृह में एक महीने के उपवास से आए । मुनि की स्त्री जो व्यन्तरी हो गयी थी, उसने मुनिराज के पड़गाहन समय …