जल में उठने वाली तरंगों के समान श्रद्धान का चलायमान होना चल-दोष है। जैसे जल में अनेक लहरें उठती हैं और शांत हो जाती हैं उसी प्रकार क्षयोपशम सम्यग्दृष्टि के मन में अनेक विचार उठते हैं। यद्यपि सभी तीर्थंकर या …
जीव के आत्मप्रदेश चल भी हैं, अचल भी और चलाचल भी हैं। जैसे गर्म जल में पकते हुए चावल ऊपर-नीचे होते रहते हैं, वैसे ही संसारी जीव के आठ रुचकाकार मध्यप्रदेश छोड़कर बाकी के प्रदेश सदा ऊपर नीचे घूमते हैं। …