गृहस्वामी के द्वारा लायी गई घास को खाते समय जैसे गाय घास को ही देखती हैं लाने वाले के रूप रंग या स्थान की सजावट आदि को नहीं देखती। उसी प्रकार साधु भी आहार देने वाले के रूप-रंग, गरीबी–अमीरी आदि …
1. जिस कर्म के उदय से जीव उच्च या नीच कहा जाता है वे गोत्र कर्म है। 2. जिस कर्म के उदय से जीव उच्च या नीच कुल में उत्पन्न होता है उसे गोत्र कर्म कहते हैं। गोत्र, कुल, वंश …
जैसे गाय के चलते समय मूत्र का करना अनेक मोडों वाला होता है, उसी प्रकार तीन मोडों वाली गति को गोमूत्रिका गति कहते हैं।