विप्राणस व गृद्धपृष्ठ नाम के दोनों मरणों का न तो आगम में निषेध है और न अनुज्ञा । दुष्काल में अथवा दुर्लघ्य जंगल में, दुष्ट राजा के भय से, तिर्यंचादि के उपसर्ग से, एकाकी स्वयं सहन करने को असमर्थ होने …
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