जैनेश्वरी दीक्षा लेकर एवं भगवान की दिव्य ध्वनि को धारण करने में समर्थ हैं और लोक-कल्याण के लिए वाणी का सार द्वादशांग के रूप में जगत को प्रदान करते हैं, ऐसे महामुनीश्वर ‘गणधर’ कहलाते हैं। प्राप्त ऋद्धियों के बल से …
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