प्राणियों को पीड़ा उत्पन्न करने वाले व्यापार को खरकर्म अर्थात् क्रूर कर्म कहते हैं। वे पन्द्रह प्रकार के हैं- 1. गेहूँ आदि धान्यों को पीस-कूटकर व्यापार करना (वन जीविका), 2. कोयला तैयार करना (अग्नि जीविका ), 3. गाड़ी, रथ आदि …
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