निर्विकार निश्चल चित्त की वृत्ति का विनाशक जो चारित्रमोह है वह क्षोभ कहलाता है।
जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु की लार, अक्षिमल, कफ आदि भी जीवों के रोग दूर करने में सक्षम होते हैं वह क्ष्वेलौषध-ऋद्धि कहलाती है।
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