असाता वेदनीय के उदय से जो जीव दुःखी हैं, वे क्लिश्यमान कहलाते हैं । असाता वेदनीय के उदय से जो जीव शरीर और मानस दुःख से संतापित हैं, वे क्लेशमान कहलाते हैं ।
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