याग, यज्ञ, क्रतु, पूजा, सपर्या, इज्या, अध्वर, मख और मह ये सब पूजाविधि के पर्याय वाचक शब्द है ।
चारित्र मोह क्षपणा विधान के अन्तर्गत अनिवृत्तिकरण के काल में जो स्थित बंधापसरण व स्थिति सत्त्वापसरण किया जाता उसमें एक विशेष प्रकार का क्रम पड़ता है। मोहनीय तीसिय, बीसिय, वेदनीय, नाम, गोत्र इन प्रकृतियों के स्थिति बंध व स्थितिसत्त्व में …
Not a member yet? Register now
Are you a member? Login now