अपने हाथ की अंगुलियों से मस्तक, दाड़ी व मूँछ के केशों को उखाड़ना यह साधु का केशलोंच नामक मूल गुण है। केशलोंच के दिन प्रतिक्रमण और उपवास करना अनिवार्य होता है। केशलोंच तीन प्रकार से होता है उत्तम, मध्यम व …
व्युष्टि क्रिया के उपरान्त किसी शुभ दिन पूजा विधिपूर्वक बालक के सिर पर उस्तरा फिरवाना अर्थात् मुण्डन करना और उससे अशीर्वाद देना आदि कार्य किया जाता है बालक द्वारा गुरु को नमस्कार करवाया जाता है।