खोटे मनुष्यों को चाहने के कारण से किंनर यह संज्ञा क्यों नहीं मानते ? यह देवों का अवर्णवाद है । यह पवित्र वैक्रियिक शरीर के धारक होते हैं, वे कभी भी अशुचि औदारिक शरीर वाले मनुष्य आदि की कामना नहीं …
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