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कं कट कथ कद कप कर कल कव कष का कि की कु कू कृ के कै को कौ क्
कां काक काण काप काम काय कार काल काष
12 July

कारक

  • Posted by kundkund

व्याकरण में प्रसिद्ध तथा नित्य की बोलचाल में प्रयोग किये जाने वाले कर्ता कर्म करण आदि छ: कारक हैं। लोक में इनका प्रयोग भिन्न पदार्थों में  किया जाता है, परंतु अध्यात्म में केवल वस्तु स्वभाव लक्षित होने के कारण एक …

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23 July

कारक 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

व्याकरण में प्रसिद्ध और भाषा में प्रयोग किए जाने वाले कर्ता, कर्म करण आदि छह कारक हैं अध्यात्म में आत्म द्रव्य और उसके गुण पर्यायों में ये छहों कारण लगाकर विचार किया जाता है। जहाँ पर के निमित्त से कार्य …

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23 July

कारक व्यभिचार 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

एक साधन अर्थात् एक कारक के स्थान पर दूसरे कारक के प्रयोग करने को साधन या कारक व्यभिचार कहते हैं। जैसे- ग्राममधिशेते वह ग्राम में शयन करता है। यहाँ पर सप्तमी में स्थान पर द्वितीय विभक्ति या कारक का प्रयोग …

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23 July

कारण 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

प्रत्यय, कारण और निमित्त ये एकार्थवाची नाम हैं जो पूरता है अर्थात् उत्पन्न करता है वह कारण है इस व्युत्पत्ति से पूर्व, निमित्त और कारण एकार्थवाची हैं कार्य के नियामक या साधकतम हेतु को कारण कहते हैं अर्थात् जो जिसके …

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15 July

कारण

  • Posted by kundkund

  कार्य के प्रति नियामक हेतु को कारण कहते हैं। वह दो प्रकार का है–अंतरंग व बहिरंग। अंतरंग को उपादान और बहिरंग को निमित्त कहते हैं। प्रत्येक कार्य इन दोनों से अवश्य अनुगृहीत होता है। साधारण, असाधारण, उदासीन, प्रेरक आदि …

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