आहार के लिए जाते समय या आहार करते समय साधु के उपर कौआ आदि पक्षी बीट कर दे तो यह काक नाम का अन्तराय है।
एक इन्द्रिय से लेकर अधिक दुर्लभ बातों को काकतालीय न्याय से अर्थात् बिना पुरुषार्थ के स्वतः ही प्राप्त कर ले तो भी परम समाधि अत्यन्तः दुर्लभ है। बहुरि काकतालीय न्याय करि भवितव्य ऐसा ही होए और तातैं कार्य की सिद्धि …
आहार करते समय कौआ आदि पक्षी साधु के हाथ से ग्रास उठा ले जाए तो यह काकादि-पिण्ड-हरण नाम का अन्तराय है।