जो कर्मों के उपशम से उत्पन्न होता है उसे औपशमिक-भाव कहते हैं । औपशमिक भाव दो हैं- औपशमिक सम्यक्त्व और औपशमिकचारित्र ।
असाध्य भी सर्व रोगों की निवृत्ति की हेतुभूत औषधि ऋद्धि आठ प्रकार की हैं- आमर्ष, क्ष्वेल, जल्ल, मल, विट्, सर्व, आस्याविष और दृष्टिविष ।