गति आदि मार्गणा स्थानों से विशेषता को नहीं प्राप्त हुए केवल चौदहों गुणस्थानवर्ती जीवों के प्रमाण का प्ररूपण करना ओघनिर्देश है अथवा सामान्य या अभेद से निरूपण करना यही ओघ प्ररूपणा है ।
आलोचना के दो भेद हैं- एक ओघालोचना और पदविभागी आलोचना अर्थात् सामान्य आलोचना और विशेष आलोचना, जिसमें अपरिमत अपराध किये हैं और जिसके रत्नत्रय का सर्व व्रतों का नाश हुआ है, वह मुनि सामान्य रीति से अपराध का निवेदन करता …
शरीर में शुक्र धातु का नाम । जिस राशि को चार अवहत (भाग ) करने पर दो रूप शेष रहते हैं, वह बादर युग्म कही जाती है। जिसको चार से अवहत करने पर एक अंश शेष रहता है, वह कलिओज …