पूर्व भव के शरीर को छोड़कर आगामी भव में जाते हुए जीव की जो सरल अर्थात् धनुष से छूटे हुए बाण के समान मोड़ा-रहित गति होती है उसे ऋजुगति कहते हैं। इसका दूसरा नाम ईषुगति भी है।
जो ज्ञान दूसरे के मन में स्थित सरल अर्थ को जान लेता है उसे ऋजुमति मनःपर्यय ज्ञान कहते हैं। ऋजुमति ज्ञान तीन प्रकार का है वह सरल मनोगत पदार्थ को जानता है, सरल वचनगत पदार्थ को जानता है, सरल कायगत …