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23 July

उपात्त 

  • Posted by kundkund
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उपात्त इन्द्रियाँ व मन तथा अनुपात्त प्रकाश उपदेशादि पर है पर की अपेक्षा से होने वाला ज्ञान परोक्ष है। आत्मा के रागादि परिणामों से कर्म और रूप में जिन पुद्गल द्रव्यों का ग्रहण किया जाता है। वे उपात्त पुद्गल द्रव्य …

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23 July

उपादान कारण 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

किसी कार्य के होने में जो स्वयं उस कार्य रूप परिणमन करे, वह उपादान कारण कहलाता है। जैसे- रोटी के बनने में गीला आटा उपादान- कारण है।

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23 July

उपाधि 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

साधन के साथ अव्यापक और साध्य के साथ व्यापक हेतु को उपाधि कहते हैं। जैसे गर्भ में स्थित मैत्र का पुत्र श्याम वर्ण का है क्योंकि यह मैत्र का पुत्र है, मैत्र के पुत्रों की तरह यह अनुमान सोपादिक है …

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23 July

उपाधि अतिचार 

  • Posted by kundkund
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उपाधि शब्द का अर्थ माया होता है गुप्त रीति से मायाचार में प्रवृत्ति करना, दाता के घर का शोध करके अन्य मुनि के जाने से पूर्व में वहाँ आहारार्थ प्रवेश करना अथवा किसी कार्य के निमित्त से दूसरे नहीं जा …

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23 July

उपाध्याय 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

जो सम्पूर्ण द्वादशांग का अभ्यास करके मोक्षमार्ग में स्थित हैं तथा मोक्ष के इच्छुक मुनियों को उपदेश देते हैं उन मुनीश्वरों को उपाध्याय परमेष्ठी कहते हैं। अथवा चौदह विद्या स्थानों के व्याख्यान करने वाले या तत्कालीन परमागम का व्याख्यान करने …

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