पक्ष और विपक्ष दोनों ही कारणों की वादी और प्रतिवादियों के यहाँ सिद्धि हो जानी उपपत्तिसमा जाति है। प्रतिवादी कह देता है कि जैसे तुझ वादी के पक्ष में अनित्यत्वपने का प्रमाण विद्यमान है, तिसी प्रकार मेरे पक्ष में भी …
उपपाद एक प्रकार का है और वह उत्पन्न होने (जन्मने) के पहले समय में ही होता है, इसमें जीव के समस्त प्रदेशों का संकोच हो जाता है।
पर्याय धारण करने के पहले समय में तिष्ठते हुए जीव के उपपाद योगस्थान होते हैं। जो वक्रगति से नवीन पर्याय को प्राप्त हो उसके जघन्य जो ऋजुगति से नवीन पर्याय को प्राप्त हो उसके उत्कृष्ट योगस्थान होते हैं। उपपादयोगस्थान उत्पन्न …