1. दृष्टान्त की अपेक्षा लेकर पक्ष में हेतु के दोहराने को उपनय कहते हैं जैसे- इसीलिए यह पर्वत भी धूमवाला है- ऐसा कहना अथवा साधनवान रूप से पक्ष की दृष्टान्त के साथ साम्यता का कथन करना जैसे- इसीलिए यह धूम …
जो गणधर सूत्र अर्थात् जनेऊ या यज्ञोपवीत को धारण कर उपासकाध्ययन आदि शास्त्रों का अभ्यास करते हैं और फिर गृहस्थ धर्म स्वीकार करते हैं, उन्हें उपनय ब्रह्मचारी कहते हैं ।