कर्म के विपाक को उदय कहते हैं अथवा द्रव्य, क्षेत्र, काल और भव के अनुसार कर्मों के फल का प्राप्त होना उदय है अथवा द्रव्य, क्षेत्र, काल और भव के आश्रय से स्थिति का क्षय होना और कर्म स्कंधों का …
1. जब सर्वघाती स्पर्धकों का उदय होता है तब तनिक भी आत्मा के गुण की अभिव्यक्ति नहीं होती, इसलिए उस सर्वघाती स्पर्धकों के उदय के अभाव को उदयाभावी क्षय कहते हैं । 2. जब सर्वघाती स्पर्धक अनन्तगुणहीन होकर देशघाती स्पर्धकों …