ईर्या का अर्थ योग है, कषाय के अभाव में मात्र योग के द्वारा जो आस्रव होता है वह ईर्यापथ-आश्रव है। ईर्यापथ में रूप से आए हुए कर्म परमाणु दूसरे समय में ही पूर्णतः निर्जरा को प्राप्त होते हैं इसलिए ईर्यापथ …
ईर्ष्या का अर्थ गति या गमन है अतः ईर्यापथ की कारणभूत क्रिया ईर्यापथ-क्रिया है।
अनेक प्रकार के जीवस्थान, जीवाश्रय आदि के विशिष्ट ज्ञानपूर्वक प्रयत्न पूर्वक जिसमें जन्तु – पीड़ा का बचाव किया जाता है, जिसमें ज्ञान, सूर्य प्रकाश आदि से अच्छी तरह देख कर गमन किया जाता है तथा जो शीघ्र विलम्ब से, सम्भ्रान्त, …
प्रासुक मार्ग से दिन में चार हाथ प्रमाण देखकर अपने कार्य के लिए प्राणियों को पीड़ा नहीं पहुंचाते हुए संयमी मुनि का जो गमन है, उसे ईर्यासमिति कहते हैं ।