केवलज्ञान आदि रूप ऐश्वर्य को प्राप्त करने वाले अर्हन्त और सिद्ध परमात्मा ईश्वर कहलाते हैं ।
ईश्वर नय से परतन्त्रता भोगने वाला है। धाय की दुकान पर दूध पिलाये जाने वाले राहगीर के बालक की भांति । अनीश्वर नय से स्वतन्त्रता भोगने वाला है। हिरण के स्वच्छन्दता पूर्वक फाड़कर खा जाने वाले सिंह की भांति ।