जिससे साधु को सारे जगत पर प्रभुत्व करने की शक्ति प्राप्त हो वह ईशित्व-ऋद्धि हैं।
ईश्वर नय से परतन्त्रता भोगने वाला है। धाय की दुकान पर दूध पिलाये जाने वाले राहगीर के बालक की भांति । अनीश्वर नय से स्वतन्त्रता भोगने वाला है। हिरण के स्वच्छन्दता पूर्वक फाड़कर खा जाने वाले सिंह की भांति ।